बनारस न्यूज डेस्क: वाराणसी में सड़क चौड़ीकरण के लिए हाल ही में चलाए गए बुलडोजर ने शहर की एक ऐतिहासिक दुकान ‘चाची कचौड़ी’ को भी जमींदोज कर दिया था, जिससे स्थानीय लोगों और पर्यटकों में मायूसी फैल गई थी। करीब 110 साल पुरानी इस दुकान के स्वाद के लोग इतने दीवाने थे कि इसका हटना एक झटका जैसा था। हालांकि अब उनके लिए राहत की खबर है—कुछ दिन बंद रहने के बाद चाची की कचौड़ी फिर से मिलने लगी है, बस अब जगह थोड़ी बदल गई है।
नई लोकेशन अब भी उसी इलाके में है—लंका के रविदास गेट के सामने, जहां पहले इस दुकान का गोदाम हुआ करता था। यहीं अब एक बार फिर से गरमा-गरम कचौड़ी और जलेबी परोसी जा रही है, और चाची के अंदाज़ में खरी-खरी सुनने वालों की भीड़ दोबारा लौट आई है। दुकान के दोबारा शुरू होते ही काशीवासियों और दूर से आने वाले खाने के शौकीनों में खुशी की लहर दौड़ पड़ी है।
बता दें कि सड़क विस्तार योजना के तहत पीडब्ल्यूडी ने ‘चाची कचौड़ी’ समेत कुल 35 दुकानों को 17 जून की रात तोड़ दिया था। इस कार्रवाई में 'पहलवान लस्सी' जैसी फेमस दुकानें भी शामिल थीं। इसका कारण था लहरतारा से लंका होते हुए भेलूपुर तक बन रही छह लेन की सड़क, जिसके लिए अतिक्रमण हटाना ज़रूरी था। हालांकि इसके बाद स्थानीय लोगों और दुकानदारों ने प्रशासन से मुआवजे और पुनर्वास की मांग उठाई।
चाची कचौड़ी के बेटे कैलाश यादव, जो अब इस दुकान को संभाल रहे हैं, ने बताया कि नई जगह पर फिर से सेटअप करने में थोड़ी दिक्कत तो हो रही है, लेकिन उनका हौसला बरकरार है। उन्होंने यह भी कहा कि तमाम नेता, कलाकार और चर्चित लोग सालों से उनके यहां खाने आते रहे, मगर दुकान टूटने के बाद किसी ने हालचाल तक नहीं पूछा। प्रशासन की ओर से अब तक न मुआवजा मिला है, न ही कोई ठोस आश्वासन। इसके बावजूद, वह इस स्वाद की विरासत को आगे बढ़ाने को तैयार हैं।